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हमारे हिंदुस्तान में कई तरह के फलों का सेवन किया जाता है। बहुत से फल तो हमारे देश में ही उगाए जाते हैं, जबकि कुछ फल तो दूसरे देशों से भी मंगवाए जाते है। साथ ही फलों के लाभ तो कई हैं, जिस कारण सभी इनका सेवन करते हैं। साथ ही आप सभी फलों से परिचित तो होंगे ही, लेकिन यहां हम जिस फल की बात कर रहे हैं, उसके बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं। इस फल का नाम है ड्रैगन फ्रूट। इसके रंग रूप को देखते हुए इसे यह नाम दिया गया है।
कुछ लोगों का मानना है कि ड्रैगन फ्रूट का स्वाद नाशपाती और कीवी के मिश्रण जैसा होता है। ड्रैगन फ्रूट की दो परतें होती हैं। पहली परत जो कि बाहरी परत होता है वह लाल रंग की होती है और अंदर की परत गूदा सफेद या गुलाबी रंग का होती है। इन्हीं के आधार पर ड्रैगन फ्रूट को दो भागों में बांटा जाता है। पहला भाग सफेद गूदे वाली और दूसरी भाग लाल गूदे वाली होती है।
ड्रैगन फ्रूट्स की खेती: समस्याएं और उनके समाधान
यामुळे कर्करोग, हृदयरोग यासारख्या अनेक आजारांचा धोका कमी होतो. तसेच व्हिटॅमिन सी मुळे इम्युनिटी देखील वाढते. रोग प्रतिकारशक्ती वाढल्याने सर्दी, पडसे, खोकला यासारखे आजार सहसा होत नाही.
प्रश्न-ड्रैगन फ्रूट की तासीर कैसी होती है?
विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स की मौजूदगी से ड्रैगन फ्रूट आपकी त्वचा को स्वस्थ्य रखने के साथ ही जल्दी बुढ़ापे के लक्षणों को दिखने से रोकने में भी मदद करता है। इसमें मौजूद एंटी इन्फ़्लेमेटरी गुण स्किन की एलर्जी और जलन को शांत करने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा ड्रैगन फ्रूट में पानी की मात्रा पर्याप्त होती है, जो आपके स्किन को हाइड्रेटेड रखता है।
अस्थमा एक क्रोनिक बीमारी है, जिसमें सांस लेने में तकलीफ होती है। इससे आराम पाने में भी ड्रैगन फ्रूट का उपयोग किया जा सकता है।साथ ही ड्रैगन फ्रूट किसी भी तरह की एलर्जी में लाभदायक साबित होता है।
ड्रैगन फ्रूट का पौधा तीन से चार साल में पूरी तरह से तैयार हो जाता है. इस दौरान पौधे की कटाई छटाई करते रहना चाहिए. क्योंकि कटाई ना करने की वजह से पौधे में बहुत सारी शाखाएं निकल आएँगी.
उतर-ड्रैगन फ्रूट के पौधों को लगाने का तरीका
ड्रैगन फ्रूट कैलोरी में कम होता है मगर विटामिन और मिनरल से युक्त होता है। खासकर प्रोटीन, फाइबर, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन सी और विटामिन ई पाया जाता है।
प्रश्न-ड्रैगन फ्रूट कैसे उगाए जाते हैं?
खाद और उर्वरकों का उपयोग करना: ड्रैगन फ्रूट की खेती में उचित खाद और उर्वरकों का उपयोग करना चाहिए। क्योंकि यह पौधों को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार पोषण प्रदान करता है।
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